वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />२२ जून २०१४,<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />दोहा:<br />स्वाति बूँद केतली में आए,पारस पाये कपूर कहाए |<br />दर्पण फूटा कोटि पचासा, दर्शन एक सब में बासा ||<br /><br />प्रसंग:<br />बिखरे मन के लिए संसार में टुकड़े ही टुकड़े?<br />"दर्पण फूटा कोटि पचासा, दर्शन एक सब में बासा" दादू दयाल यहाँ क्या बताना चाह रहे है?<br />मन टुकड़े- टुकड़े में क्यों रहता हैं?